Friday, October 14, 2022

शेर

ख़्वाब सी हसीन ज़िंदगी की
तलाश मैं काँटों पे चल दिये
जब हुए उस ज़िंदगी से रूबरू
तो नाजूक फुल जख्म दे गये

अब किस बात का
जश्न मनाये हम
पाव कॉंटों से हैं भरे
ये दिल फुलों से जख्मी
तन्हाई है हमसफर हमारी
आंखों मे बस गईं हैं नमी

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