असंच सुचलेले काही
Wednesday, March 9, 2022
बेचिराख
स्वतः जळून,तुला उजळताना पाहिले
होऊन बेचिराख मी,स्वतःला विझताना पाहिले
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment