Sunday, September 25, 2022

मुकद्दर


आखें हैं नम और हाथों मैं जाम हैं
तेरी बेवफाई के चर्चे आज आम हैं॥

क्या कुछ नही किया तेरे लिये सनम
आज तेरी रुसवाई का हम पे इल्जाम हैं॥

तेरे लिये जिस दुनिया से लडा मैं
आज उसे दुनिया मे तू शामिल हैं॥

फिर भी तुझे बेवफा ना कहूंगा मैं
तू मेरे लिये प्यार का दुसरा नाम हैं॥

नाजूक सा ये दिल मेरा
एक झटके मैं तोड दिया तूने॥

फिर भी उस दिल की
हर एक टूकडे मे तू ही तू हैं॥

अब शायद किसी से वफा
ना कर पाउंगा मैं॥

तेरी यादों के साथ जीना ही
अब मेरा मुकद्दर हैं॥

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